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रेत की तरह जिंदगी भी फिशलती जाती है।

रेत को हाथों में रख कर जितनी मुठ्ठी दबाते है उतनी  फिशलती है हाथों से, जिंदगी भी कुछ ऐसी ही है जितना समय गवाते है उतनी ही फिशलती जाती है हाथों से।


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