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Showing posts from June 26, 2020

सच है यार पैसे माँ बाप के ही अच्छे लगते है, अपने कमाये पैसे कहा जचते है।

जब उसने कमाया और तुमने गवाया, फिर भी कभी उसने फर्क नही बताया। ओर जब तुमने कमाया और उसने कभी भी तुम जैसा नही गवाया, फिर भी तुमने फर्क बहुत जताया।

मेरे हक की भी बेईमानी तुम करने लगे हो मोहब्बत से ज्यादा तुम शक करने लगे हो

ये कलम बेजुबान भाषा है हर सख़्श पहचान नही पाता है जो लिखता है वही समझ पाता है जो शब्द लिखे जाते है इस कलम से वो शब्द फत्थर की लक़ीर बन जाता है।