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मजदूर की ज़िंदगी

आपकी महँगी गाड़ी चलाने वाला अक्सर पैदल घर जाता है, करोड़ो की रखवाली करने वाला वक़्त पर पगार नही पता है, कभी-कभी एक वक़्त भूका रहता है जो आपके लिए आधे घंटे में पिजा पहुँचता है, और बारिश में छत टपकती है उसके घर की जो आपके लिए बड़ी-बड़ी बिल्डिंग बनाता है,
ऐसे हालातों से लड़-लड़ कर जीवन चलता है, ये मजदूर है साहब क्यों और कौन इन्हें याद रख पाता है, सोचो तो बहुत कुछ याद आता है नही तो वक़्त कहा किसी को पैसे के ग़रूर में इंसान सब कुछ भूल जाता है।

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