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Showing posts from May 15, 2020

अब और नही

#अब_और_नही। यू बार-बार तेरा रूठना ओर फिर हमे मनाना, अब और नही। छोटी सी ग़लती पर तेरा नाराज हो जाना, अब और नही। तेरी नादानियों को नजरअंदाज करना, अब और नही। तेरा मुझे नजरअंदाज करना, अब ओर नही। तेरा मुझ पर ना अक़ीन करना, अब और नही। तेरा मुझसे बार-बार झुठ बोलना, अब और नही। तेरी हर गलती पर मुस्कुराना, अब ओर नही। तेरी झूठी मुस्कान के लिए मरना, अब ओर नही। तुझे खो देने से डरते रहना, अब ओर नही। तुझे दिल से चाहना, अब ओर नही। तुझे दिल तोड़कर चाहना, अब ओर नही। तुझे झूठे दिल से चाहना, अब ओर नही। तू मोहब्बत है किसी ओर की मुझसे झूठे वादे करना,अब ओर नही।

Chess my favorite

chess it's always my favorite. Because it always scares me to lose. And increases the chance of winning.

फिलहाल तो यू है।

फ़िलहाल तो यू है। कोरोना का संकट है। घर मे बैठे है। कुछ दीवारों से कुछ अपनो से बातें कर रहे है। कब खत्म होगा ये रोग ख़ुद से सवाल कर रहे है। हार ना मानने की बात कर रहे है। जीत जाने की आश कर रहे है। बहार जरूरत पर मास्क पहन कर निकल रहे है। सोशल डिस्टेंसिनग का ख्याल रख रहे है। घर मे आकर खुद को सेनिटाइजर कर रहे है। लोग खुद से दुसरो की मदद कर रहे है। लोग कहा कहा, किस किस मुसीबत से सफर कर रहे है। फिर भी लोग कोरोना के संकट से लड़ रहे है। हम अपना ही नही उनका भी ख्याल कर रहे है। जो दिन रात इस संकट से लड़ रहे है। ओर देश को बचाने की कोशिश कर रहे है। फिलहाल तो यू है। हम कोरोना से लड़ रहे है।

नफरतों से अगर महफिले सजती। तो अक़ीन मानो नफरते बाजार में बड़ी महँगी बिकती, और उसके खरीदार भी अजीब होते। उसे खरीद कर किसी और को बाँट रहे होते।

मुझसे नफरत करने वाले कमाल का हुनर रखते है। मुझे देखना भी नही चाहते फिर भी मुझी पर नजर रखते है।

काश किसी किताब में एक पाठ इन्शानियत का भी लिखा होता, तो लोग शायद उसे पड़ कर याद रखते, क्योंकि कुछ लोग इन्शानियत भूल जाते है।

डायरी के अल्फाज़

डायरी के अल्फ़ाज़ बोलते है कभी मुझसे कितनी गहराई है तेरे लफ़्ज़ों में, कितनी सच्चाई है तेरे शब्दो मे। हमने कहा एक तू ही है जिस में सारे अरमान लिख देता हूं। तू समझ जाती हैं और में खुद को समझा लेता हूं। बाकी कहा किसी को किसी की परवाह ज़िन्दगी में, बस ज़िन्दगी ज़ी रहे है अपनी अपनी खुदगर्जी में।

हमे पता है हम उन्ही के शहर में रहते है। खबर है उन्हें भी मगर फिर भी वो बेख़बर से रहते है। हम भी तालुक रखना कम कर दे उनसे, शायद वो इसी ख्याल में रहते है।