सच है यार शोक तो सारे पूरे पिता के पैसे से ही हुये है, जो हम कमा रहे है उससे तो सिर्फ जिंदगी चल रही है। वो जब बचपन में पिता के थोड़े पैसे मिलते थे, तब चेहरे की मुश्कान बताया करती थी कि कितनी खुशी हुआ करती थी, अब हम उस पैसे से कई ज्यादा कमा लेते है मगर वो खुशी खोज नही पाते है। वो पिता अपने खून पसीने का कतरा कतरा गवा कर पैसे कमा कर लाता था और हम उस पैसे को खुशी खुशी गवा दिया करते थे, अब हम खुद के पैसे कमाने पर भी वो नही कर पाते है जो पिता के पैसे से कर जाते थे। हर चीज हर खुशी खरीद लिया करते थे, पिता के पैसे का मोल हम कभी नही चुका सकते है। हमे कामयाब बनाने के लिए कितने कष्ट से गुजर पाया है, वो खुद पिता के अलावा और कोई नही जान पाया है। कहते है कि गुरु सीखाता है तो वह गुरुदक्षणा भी लेता है, पर गौर कीजिए कि पिता जो सीखाता है उसका मोल कोई चुकता है। ना वो गुरु है न वो ज्ञानी है, मगर हमे जिंदगी में सबसे ज्यादा वही सीखाता है, शायद वो तुमसे ज्यादा तुमको जानते है तभी तो वह तुम्हारी कामयाबी में सबसे ज्यादा खिलखिलाता है। कतरा-कतरा खून का बूंद-बूंद पसीने की हर मौसम में उसने गवाया है, क्या कभी कोई पिता
Writer✍️ The brain thinks, the heart feels, the mind says and the hand writes...!!! Quotes, Shayari, Thoughts, Story And Poetry