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कितनी भी शिद्दत से निभा लो तुम रिस्तो को मगर जिन्हें बदलना होता है वो बदल ही जाता है।

पिता के पैसे

सच है यार शोक तो सारे पूरे पिता के पैसे से ही हुये है, जो हम कमा रहे है उससे तो सिर्फ जिंदगी चल रही है। वो जब बचपन में पिता के थोड़े पैसे मिलते थे, तब चेहरे की मुश्कान बताया करती थी कि कितनी खुशी हुआ करती थी, अब हम उस पैसे से कई ज्यादा कमा लेते है मगर वो खुशी खोज नही पाते है। वो पिता अपने खून पसीने का कतरा कतरा गवा कर पैसे कमा कर लाता था और हम उस पैसे को खुशी खुशी गवा दिया करते थे, अब हम खुद के पैसे कमाने पर भी वो नही कर पाते है जो पिता के पैसे से कर जाते थे। हर चीज हर खुशी खरीद लिया करते थे, पिता के पैसे का मोल हम कभी नही चुका सकते है। हमे कामयाब बनाने के लिए कितने कष्ट से गुजर पाया है, वो खुद पिता के अलावा और कोई नही जान पाया है। कहते है कि गुरु सीखाता है तो वह गुरुदक्षणा भी लेता है, पर गौर कीजिए कि पिता जो सीखाता है उसका मोल कोई चुकता है। ना वो गुरु है न वो ज्ञानी है, मगर हमे जिंदगी में सबसे ज्यादा वही सीखाता है, शायद वो तुमसे ज्यादा तुमको जानते है तभी तो वह तुम्हारी कामयाबी में सबसे ज्यादा खिलखिलाता है। कतरा-कतरा खून का बूंद-बूंद पसीने की हर मौसम में उसने गवाया है, क्या कभी कोई पिता...

माँ

में जब भी सोचता हूं माँ के बारे में तो एक बड़ी यादों के सफर का मंज़र होता है, माँ की ममता, माँ का त्याग, माँ का स्नेह, माँ का प्यार जैसे शब्दों का नाम होता है, माँ तू ख़ुद से नही मुझसे नही तू सारे ज़हान में सबसे निराली है, माँ तुझे शब्दों से कैसे बया कर दू, तू ही तो मुझे शब्दों का मतलब सिखाने वाली है।

नर से नारी का ओर सर से साड़ी का बहुत ही गहरा संबंध है

हर प्यार की शुरुआत दोस्ती से हुआ करती है माना प्यार निभा नही सकतें पर दोस्ती तो निभ सकती है।

उम्मीद

इंसान कभी इंसान को धोखा नही देता है, जो उम्मीद लगते है इंसान से वो धोखा देती है। इतनी उम्मीद न लगाओ किसी से, की तुम हार जाओ जिंदगी से।

चेहरे कहा अश्लियत बया करते है, गहरे राज तो दिल मे छुपा कर रखते है।

में न धर्म, न जात, न मजहब की बात करता हु, में इंसान हु इंसान से इन्शानियत की बात करता हु।

में अपने अल्फाज़ो में उलझा रहता हूं किसी के लफ्ज़ कैसे बया करू। वो पूछते है दर्द मेरा जुबा बोलती है लेकिन दिल का हाल में उसे कैसे बया करू। छुपे होते है कुछ राज दिल के दिल मे ही, कहना चाहते है मगर ये राज दिल के जुबा से बया कैसे करू।

सच है यार पैसे माँ बाप के ही अच्छे लगते है, अपने कमाये पैसे कहा जचते है।

जब उसने कमाया और तुमने गवाया, फिर भी कभी उसने फर्क नही बताया। ओर जब तुमने कमाया और उसने कभी भी तुम जैसा नही गवाया, फिर भी तुमने फर्क बहुत जताया।

मेरे हक की भी बेईमानी तुम करने लगे हो मोहब्बत से ज्यादा तुम शक करने लगे हो

ये कलम बेजुबान भाषा है हर सख़्श पहचान नही पाता है जो लिखता है वही समझ पाता है जो शब्द लिखे जाते है इस कलम से वो शब्द फत्थर की लक़ीर बन जाता है।

जब तकलीफ होती है तुम्हे तब कोई पूछता है क्या हाल है तुम्हारा नही साहब ये बदनशीबी है हमारी जब खुशी होती है तब बोलते है क्या हाल है तुम्हारा

तुम्हे जितना पड़ता हु उतना समझ नही पाता हु ओर जितना समझता हूं उतना उलझ जाता हूं

तुम्हारे लिए अकेले ही सारी दुनिया से जो लड़े वो हमसफ़र तुम्हे खुद से ज्यादा चाहने की ज़िद पर जो लड़े वो हमसफ़र तुम्हारी मुश्कुराहट के पीछे के दर्द को जो पड़े वो हमसफ़र लोगो के शोर में तुम्हारी ख़ामोशी को जो पड़े वो हमसफ़र

कुछ बातें अनकहीं सी होती है जिन्हें सिर्फ समझना होता है यही तो कशुर है तुम्हारा जो कहा होता है तुम्हें सिर्फ वही समझना होती है

अब गुजरी बातों का मलाल क्या रखना बिखरी जिंदगी पर सवाल क्या करना संभाल ले ख़ुद को यही काफी है अब किसी ओर पर एतबार क्या करना

यार तुम कहते नही हो मगर में समझने लगा हु, तुमको तुमसे छुप-छुप कर पड़ने लगा हु।

ज़्यादा कुछ ख़ास तो नही मेरे अल्फ़ाज़ मगर बिना कुछ कहे का एहसास तो है बस आप समझ लो वही मेरा ख़ास एहसास है।

दूरियां से ज्यादा नज़दीकियों पर गौर करना साहब अक्शर दूर के रिस्ते निभाते निभाते नजदीक वाले रिस्ते टूट जाया करते है।