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एक क़ैद पंक्षी ।। HINDI POETRY

एक पंक्षी को पिंजरे में कैद कर गये
वर्षों तक कहता रहा मुझे छोड़ दो 
में आजाद हु मुझें आज़ादी से रहने दो।

कई वर्षों बाद जब पंक्षी को छोड़ा गया
तो पंक्षी बोला अब कोई फर्क नही साहब
क़ैद ओर आजाद में मुझे क़ैदी ही रहने दो।

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