Skip to main content

Posts

Showing posts from June, 2020

माँ

में जब भी सोचता हूं माँ के बारे में तो एक बड़ी यादों के सफर का मंज़र होता है, माँ की ममता, माँ का त्याग, माँ का स्नेह, माँ का प्यार जैसे शब्दों का नाम होता है, माँ तू ख़ुद से नही मुझसे नही तू सारे ज़हान में सबसे निराली है, माँ तुझे शब्दों से कैसे बया कर दू, तू ही तो मुझे शब्दों का मतलब सिखाने वाली है।

नर से नारी का ओर सर से साड़ी का बहुत ही गहरा संबंध है

हर प्यार की शुरुआत दोस्ती से हुआ करती है माना प्यार निभा नही सकतें पर दोस्ती तो निभ सकती है।

उम्मीद

इंसान कभी इंसान को धोखा नही देता है, जो उम्मीद लगते है इंसान से वो धोखा देती है। इतनी उम्मीद न लगाओ किसी से, की तुम हार जाओ जिंदगी से।

चेहरे कहा अश्लियत बया करते है, गहरे राज तो दिल मे छुपा कर रखते है।

में न धर्म, न जात, न मजहब की बात करता हु, में इंसान हु इंसान से इन्शानियत की बात करता हु।

में अपने अल्फाज़ो में उलझा रहता हूं किसी के लफ्ज़ कैसे बया करू। वो पूछते है दर्द मेरा जुबा बोलती है लेकिन दिल का हाल में उसे कैसे बया करू। छुपे होते है कुछ राज दिल के दिल मे ही, कहना चाहते है मगर ये राज दिल के जुबा से बया कैसे करू।

सच है यार पैसे माँ बाप के ही अच्छे लगते है, अपने कमाये पैसे कहा जचते है।

जब उसने कमाया और तुमने गवाया, फिर भी कभी उसने फर्क नही बताया। ओर जब तुमने कमाया और उसने कभी भी तुम जैसा नही गवाया, फिर भी तुमने फर्क बहुत जताया।

मेरे हक की भी बेईमानी तुम करने लगे हो मोहब्बत से ज्यादा तुम शक करने लगे हो

ये कलम बेजुबान भाषा है हर सख़्श पहचान नही पाता है जो लिखता है वही समझ पाता है जो शब्द लिखे जाते है इस कलम से वो शब्द फत्थर की लक़ीर बन जाता है।

जब तकलीफ होती है तुम्हे तब कोई पूछता है क्या हाल है तुम्हारा नही साहब ये बदनशीबी है हमारी जब खुशी होती है तब बोलते है क्या हाल है तुम्हारा

तुम्हे जितना पड़ता हु उतना समझ नही पाता हु ओर जितना समझता हूं उतना उलझ जाता हूं

तुम्हारे लिए अकेले ही सारी दुनिया से जो लड़े वो हमसफ़र तुम्हे खुद से ज्यादा चाहने की ज़िद पर जो लड़े वो हमसफ़र तुम्हारी मुश्कुराहट के पीछे के दर्द को जो पड़े वो हमसफ़र लोगो के शोर में तुम्हारी ख़ामोशी को जो पड़े वो हमसफ़र

कुछ बातें अनकहीं सी होती है जिन्हें सिर्फ समझना होता है यही तो कशुर है तुम्हारा जो कहा होता है तुम्हें सिर्फ वही समझना होती है

अब गुजरी बातों का मलाल क्या रखना बिखरी जिंदगी पर सवाल क्या करना संभाल ले ख़ुद को यही काफी है अब किसी ओर पर एतबार क्या करना

यार तुम कहते नही हो मगर में समझने लगा हु, तुमको तुमसे छुप-छुप कर पड़ने लगा हु।

ज़्यादा कुछ ख़ास तो नही मेरे अल्फ़ाज़ मगर बिना कुछ कहे का एहसास तो है बस आप समझ लो वही मेरा ख़ास एहसास है।

दूरियां से ज्यादा नज़दीकियों पर गौर करना साहब अक्शर दूर के रिस्ते निभाते निभाते नजदीक वाले रिस्ते टूट जाया करते है।

मेरे ख्याल की तुम चिंता न करा करो बस तुम अपना ख्याल रखा करो

मैं अपना दर्द बया करना नहीं चाहता, और आप मेरा दर्द महसूस करना नहीं चाहते। जिंदगी येसी ही कश्मकश में चल रही हैं कुछ में कहना नही चाहता, ओर कुछ तुम समझना नही चाहते।

हर कामयाब लोग ज्यादा सोते नही है, क्योंकि वह कुछ खोते नही है, मगर जितना भी सोते है वो, यक़ीनन! उनसे ज्यादा सकून से कोई ओर सोते नही है।

अब गुजरी बातों का मलाल क्या रखना बिखरी जिंदगी पर सवाल क्या करना संभाल ले ख़ुद को यही काफी है अब किसी ओर पर एतबार क्या करना

दूरियां से ज्यादा नज़दीकियों पर गौर करना साहब अक्शर दूर के रिस्ते निभाते निभाते नजदीक वाले रिस्ते टूट जाया करते है।

मैं अपना दर्द बया करना नहीं चाहता, और आप मेरा दर्द महसूस करना नहीं चाहते। जिंदगी येसी ही कश्मकश में चल रही हैं कुछ में कहना नही चाहता, ओर कुछ तुम समझना नही चाहते।

बेजुबान की भाषा

यार कभी बेजुबान की भाषा भी समझ लिया करो, इंसान हो कभी थोड़ी इन्शानियत भी निभा लिया करो। बेशक बोलता नही वो जुबान से, लेकिन शायद समझता अच्छा है वो इंसान से।

इंसान बना एक जैसा है।

समझो तो कुछ ऐसा है, की जीवन सबका एक जैसा है। रंग, रूप, भेद सब एक जैसा है मिट्टी एक ही उपयोग की थी इंसान बनाने में उसने मगर जब इंसान बने तब देखा कि इंसान से इंसान में इतना फर्क क्यों और कैसा है, भगवान ने एक रूप दिया मगर इंसान ने अनेक रूप ओर अनेक भेद कर दिया अरे काट कर देखो कभी अपने शरीर का कोई भी अंग क्या खून का रंग भिन्न-भिन्न रंग जैसा है, जब इंसान बना एक जैसा है फिर ये भेद क्यों अनेक रूप जैसा है, समझो तो कुछ ऐसा है, जीवन सबका एक जैसा है। ये शरीर पांच तत्व का जीव है वायु, जल, अग्नि, पृथ्वी और आकाश जब इनका कोई भेद नही इंसान में फिर क्यों फर्क करते हो तुम उच्च, नीच, अमीरी,गरीबी, जात और धर्म का इंसान में।